Friday, 28 July 2017

जिहाद- मुस्लिम दर्शन और फैलाव का अभिन्न अंग

जिहाद या जेहाद एक अरबी भाषा का शब्द है और इस्लाम से सम्बन्धित है यह मुसलमानों का एक मजहबी कर्तव्य है ,अरबी में इसके दो अर्थ हैं – सेवा और संघर्ष।

जिहाद शब्द कुरान में बार-बार आता है। 

वास्तविकता में “इस्लाम एक धर्म-प्रेरित मुहम्मदीय राजनैतिक आन्दोलन है, कुरान जिसका दर्शन, पैगम्बर मुहम्मद जिसका आदर्श, हदीसें जिसका व्यवहार शास्त्र,जिहाद जिसकी कार्य प्रणाली, मुसलमान जिसके सैनिक, मदरसे जिसके प्रशिक्षण केन्द्र, गैर-मुस्लिम राज्य जिसकी युद्ध भूमि और विश्व इस्लामी साम्राज्य जिसका अन्तिम उद्‌देश्य है इसीलिए जिहाद की यात्रा अन्तहीन है।”

अब महत्वपूर्ण प्रश्न तो यही उठता है कि आखिर जिहाद क्यों ? 

सन् 623 ई. से लेकर आज तक सारे विश्व में मुसलमान ‘अल्लाह के लिए जिहाद‘ के नाम पर करोड़ों निरपराध गैर-मुसलमानों की हत्या क्यों करते आ रहे हैं? 

तथाकथित रूप से समानता, परस्पर प्रेम , शान्ति और भाई चारे के मजहब का दावा करने वाला इस्लाम आखिर इन मासूमों की लगातार हत्याएं करके क्या प्राप्त करना चाहता है? 

आखिर इस खूनी जिहाद का उद्‌देश्य क्या है?

इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर और जिहाद का उद्‌देश्य इस्लाम के धर्म-ग्रंथों-कुरान और हदीसों में सुस्पष्ट दिया गया है। देखए कुछ प्रमाण-

(1) ”तुम उनसे लड़ो यहाँ तक कि फितना (उपद्रव) बाकी न रहे और ‘दीन’ (मजहब) पूरा का पूरा अल्लाह के लिए हो जाए”।
(कुरान 8:39 ,पृष्ठ 354)

(2) ”वही है जिसने अपने ‘रसूल’ को मार्ग दर्शन और सच्चे ‘दीन’ (सत्यधर्म) के साथ भेजा ताकि उसे समस्त ‘दीन’ पर प्रभुत्व प्रदान करे,चाहे मुश्रिकों को नापसन्द ही क्यों न हो”।
(कुरान 9:33, पृष्ठ 373)

(3) पैगम्बर मुहम्मद ने मदीना के बैतउल मिदरास में बैठे यहूदियों से कहाः ”ओ यहूदियों! सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके ‘रसूल’ की है यदि तुम इस्लाम स्वीकार कर लो तो तुम सुरक्षित रह सकोगे।” 
मैं तुम्हें इस देश से निकालना चाहता हूँ इसलिए यदि तुममें से किसी के पास सम्पत्ति है तो उसे इस सम्पत्ति को बेचने की आज्ञा दी जाती है वर्ना तुम्हें मालूम होना चाहिए कि सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके रसूल की है”।
(बुखारी, जिल्द 4:392,, पृष्ठ 259-260 ,  मिश्कत ,  जिल्द  2:217, पृष्ठ 442)

(4) पैगम्बर मुहम्मद ने अपने जीवन के सबसे आखिरी वक्तव्य में कहाः ”हे अल्लाह! यहूदियों और ईसाइयों को समाप्त कर दे, वे अपने पैगम्बरों की कबरों पर चर्चे (पूजाघर) बनाते हैं अरेबिया में दो धर्म नहीं रहने चाहिए।”
(मुवट्‌टा मलिक, 511 : 1588, पृष्ठ 371)

(5) पैगम्बर मुहम्मद ने मुसलमानों से कहा ”जब तुम गैर-मुसलमानों से मिले तो उनके सामने तीन विकल्प रखोः उनसे इस्लाम स्वीकारने या जजिया (टैक्स) देने को कहा यदि वे इनमें से किसी को न मानें तो उनके साथ जिहाद (सशस्त्र युद्ध) करो।”
(मुस्लिम, जिल्द 3: 4249, पृष्ठ 1137 ;  माजाह , जिल्द 4: 2858,, पृष्ठ 189-190)

अतः कुरान, हदीसों एवं मुस्लिम विद्वानों के अनुसार
जिहाद के प्रमुखतम उद्देश्य हैं —

(A) गैर-मुसलमानों को किसी भी प्रकार से मुसलमान बनाना

(B) मुसलमानों के एक मात्र अल्लाह और पैगम्बर मुहम्मद में अटूट विश्वास करके तथा नमाज ,  रोजा ,  हज और जकात द्वारा उन्हें कट्‌टर मुसलमान बनाना

(C) विश्व भर के गैर-मुस्लिम राज्यों, जहाँ की राज व्यवस्था सेक्लयूरवाद, प्रजातन्त्र, साम्यवाद, राजतंत्र या मोनार्की आदि से नियंत्रित होती है, उसे नष्ट करके उन राज्यों में शरियत के अनुसार राज्य व्यवस्था स्थापित करना

(D) यदि किसी इस्लामी राज्य में गैर-मुसलमान बसते हों तो उनको इस्लाम में धर्मान्तरित कर के अथवा उन्हें देश निकाला देकर उस राज्य को शत प्रतिशत मुस्लिम राज्य बनाना

अतः जिहाद का एक मात्र अन्तिम उद्‌देश्य विश्व भर के गैर-मुस्लिम धर्मों, जैसे हिन्दू धर्म ,  ईसाईयत ,  यहूदी मत ,  बौद्ध मत  , कन्फ्यूसियस मत आदि को नष्ट करके उनके देशों में शरियत अनुसार इस्लामी राज्य व्यवस्था स्थापित करना है।

इन उपरोक्त दोनों तरीकों में से इस्लाम, धर्मान्तरण की अपेक्षा जेहाद द्वारा इस्लामी राज्य व्यवस्था स्थापित करने को प्रमुखता देता है क्योंकि एक बार इस्लामी सत्ता स्थापित और शरियत लागू हो जाने के बाद गैर-मुसलमानों को पलायन ,  धर्मान्तरण  या  मौत के अलावा अन्य कोई अन्य विकल्प बचना ही नहीं हैइसीलिए मैें कहता हूँ कि इस्लाम एक धर्म-प्रेरित मुहम्मदी राजनैतिक वैचारिकता का सत्तालोलुप आन्दोलन है, कुरान जिसका दर्शन, पैगम्बर मुहम्मद जिसका आदर्श, हदीसें जिसका व्यवहार शास्त्र  , जिहाद जिसकी कार्य प्रणाली, मुसलमान जिसके सैनिक, मदरसे जिसके प्रशिक्षण केन्द्र, गैर-मुस्लिम राज्य जिसकी युद्ध भूमि और विश्व इस्लामी साम्राज्य जिसका अन्तिम उद्‌देश्य है।

निःसंदेह यह अत्यन्त उच्च महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसके आगे विश्व भर के धर्म आसानी से घुटने नहीं टेकेगें और कट्टरपंथी सांप्रदायिक मुसलमान इस सशस्त्र जिहाद को स्वेच्छा से बन्द नही करेंगे अतः मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच अल्लाह के नाम पर ‘जिहाद‘ तब तक चलता ही रहेगा जब तक कि मुसलमान अपने सार्वभौमिक राज्य के सपने को नहीं त्यागते या नष्ट करके अत्यंत अल्पसंख्यक नहीं बना दिये जाते वो भी परिवार नियोजन की बाध्यता अथवा बंध्याकरण द्वारा!

इसके अलावा  मुसलमान मौलाने, उलेमा, इमाम आदि दावा करते हैं कि जब ”सारी पृथ्वी अल्लाह की है तो दुनिया भर पर राज भी अल्लाह का ही होना चाहिए ” परन्तु यह उनका बड़ा भ्रम और एक तानाशाही मनोवृत्ति का परिचायक है 

इन्ही सपनों को ले कर वह व्यक्ति , जो जिहाद करता है उसे मुजाहिद (अनेकों कोमुजाहिदीन ) कहते हैं, आरम्भ से ही जिहाद का कांसेप्ट दुनिया में विवाद का विषय रहा है , इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है ,इस्लाम में दो तरह के जेहाद बताए गए हैं —

1) जेहाद अल असगर  यानी छोटा जेहाद अर्थात आम जिहाद यानि‪ इस्लामिक सशस्त्रीकरण वाला लडाकू संघर्ष जो ही आमतौर पर चल रहा है, चलता रहा है और टीवी पर इन दिनों तारिक फतेह भी इस जेहाद अल असगर कोआम जेहाद कह कर ही संबोधित करते हैं तब मौलाना अंसार रजा सरीखे KGN Foundation की सूफी नकाब पहने लीचड जिहादी कट्टरपंथी बेनकाब हो जाते हैं  आदर्श Liberal सहिष्णुता का बुरका उतार कर।

जेहाद अल असग़र का उद्देश्य इस्लाम के संरक्षण के लिए संघर्ष करना होता है, जब इस्लाम के अनुपालन की आज़ादी न दी जाए, उसमें रुकावट डाली जाए, या किसी मुस्लिम देश पर हमला हो, मुसलमानों का तथाकथित शोषण किया जाए, उन पर तथाकथित अत्याचार किया जाए तो उसको रोकने की सशस्त्र कोशिश करना और उसके लिए बलिदान देना जेहाद अल असग़र है, इसी जेहाद का गैर-मुसलमानों पर बहुत बुरा असर पडा है और अपनी चिरपरिचित मजहबी असहिष्णुता को काम ले कर यही जिहाद चल रहा है।

2) जेहाद अल अकब़र  यानी बडा जेहाद अर्थात निजी मुस्लिम जेहाद अर्थात् निजी जेहाद – सेवा वाला जिसकी आड़ ले कर आम मुसलमान प्रवक्ता, मौलाना अंसार रजा सरीखे लोग, जानबूझकर उलट परिभाषा बदल कर अपनी समझ से जवाबदेही से बचने की कुटिल कुत्सित फिराक रखते हैं हम हिन्दुओं को बेवकूफ बनाने हेतु दुराग्रहपूर्ण कोशिशें करते हैं और हमारे प्रवक्ता रूपी बुद्धिपिशाच बकैत हाथ में पकडे इंटरनेटी मोबाईल का उपयोग शायद ट्विटरी के अतिरिक्त करना जानते भी नहीं अत: वो इस झूठ को ना काट पाते हैं ना ही काऊंटर कर पाते हैं।

जेहाद अल अकबर अहिंसात्मक संघर्ष है जिसमें आदमी अपने सुधार के लिए प्रयास करता है। इसका उद्देश्य है बुरी सोच या बुरी ख़्वाहिशों को दबाना और कुचलना बस यही कोई मुसलमान नहीं करता लेकिन छोटे जिहाद को बचाने, मुसलमानों की असहिष्णु सांप्रदायिकता और कुकर्मों को छिपाने के लिये इस बडे जिहाद की परिभाषा काम में ले कर बचाव वक्तव्य दिये जाते हैं, बिलकुल वही तरीका कुरान 5:32 यानि कुरान सूरह 5 अल माइदाह , आयत 32 के अाधे अधूरे अर्थ वाला जो आयत मुसलमानो के लिये नहीं बल्कि बनी इस्राईल – यहूदियों के लिये थी।

★★ जेहाद में हर वह काम वैध बन जाता हैं जिसे इंसान अपराध या गलत , गुनाह मानता हैं इसी लिये जेहादियो के मन में कोई डर या संकोच नहीं होता ,ना ही अपराधभाव, क्योंकि इस्लाम की यही शिक्षा है।

विस्तारपूर्वक जानकारी हेतु गंभीर पाठकगण डेनियल पाईप्स का हिन्दी में अनुवाद किया लेख पढें जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ –  
‪ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में जिहाद‬  द्वारा 
डैनियल पाइप्स ,  न्यूयार्क 31 मई, 2005

http://yugkipukar.blogspot.in/2008/01/blog-post_9780.html?m=1

एक मजेदार सा जेहाद और है –

3)  जिहाद अल निकाह  इस्लाम धर्म की एक और अवधारणा है जिसके तहत कोई मुस्लिम महिला विवाहेतर शारीरिक संबंध बना सकती है, जिहाद को न्यायोचित तरीका मानने वाले कुछ सलफ़ी सुन्नी मुस्लिम संगठन जिहाद अल-निकाह का समर्थन करते हैं !

हाल के समय में खाड़ी के अधिकांश समाचारपत्रों ने “जिहाद अल-निकाह ” का पूर्णरूपेण खंडन किया है, बिलकुल वही तरीका जो कॉन्ट्रेक्ट निकाह यानि मुताह   के खंडन में शिया और सुन्नी मुसलमान काम लेते हैं, किंतु इस्लाम में वेश्यावृत्ति – व्याभिचार को धार्मिक जामा पहनाने का मुताह तरीका भी प्रचलित है, बस हर बात के गलत प्रचलन, कट्टरपंथी असामाजिक साबित होने पर, पोल खुलने पर उलेमा – मौलाना समेत प्रवक्ताओं द्वारा खंडन करा दो क्योंकि मान्यता यही है कि सबूत कैसे लाओगे आरोप लगाने वाले काफिरों ?

वैसे प्रमाणस्वरूप एक लिंक दे रहा हूँ नीचे वो भी बीबीसी का, जिहाद अल निकाह पर 

http://www.bbc.com/hindi/international/2013/09/130922_jihad_al_nikah_rns.shtml

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Wednesday, 19 July 2017

मैं महान गेंगस्टर श्री आनंदपाल जी का समर्थन क्यों नही कर पाया

महान गेंगस्टर श्री आनंद पाल की के कथित फेंक एनकाउंटर की CBI से जांच की मांग सरकार द्वारा मान ली गयी है। इस मांग के लिये बसों, रेलवे स्टेशन, पुलिस थानों को जलाने, पुलिस वालों को पीटने वाले प्रदर्शकारियों, सोशल मीडिया के योद्धाओ ओर जो सिर्फ मन मे मांग कर रहे थे (जैसे पुराने जमाने मे युवा मोहल्ले की सुंदर लड़की से मन ही मन ही प्यार करते थे ) , सभी को बहुत बहुत बधाई।

मेरा भी मन था कि मैं इस वीर योद्धा के वीर गति को प्राप्त होने के कारणों की  CBI, NIA, या  FBI जांच की मांग के लिए प्रदर्शन करू,निक्कमी सरकार के एसेट्स जला दु, भ्रस्ट पुलिस वालों को पीट दू। आखिर 7 कत्ल के आरोप, जिसमे एक ऐसा भी है कि मृतात्मा की लाश को टुकड़े टुकड़े कर जला दिया, अवैध वसूली ओर अवैध सोम रस के कारोबार को खड़ा करना कोई छोटी बात तो थी नही। उस पर से व्ययाम के प्रति अप्रितम प्रेम, जिसको उन्हें मिस्टर वर्ल्ड जैसी बॉडी व कवि हृदय दिल ने उनको नये फ़ैशन के वस्त्र धारण करने का का टेस्ट दिया। पढ़ेगी नारी तो बढ़ेगी नारी के सिद्धांत का पालन करते हुए न केवल पुत्रियों को पढ़ने विदेश भेजा वल्कि अपनी सेना की मुखिया भी एक महिला को बनाया। बीच बीच मैं जब भी समय मिला तो कुछ सम्पति हथिया ली ताकि उसका उचित उपयोग हो सके। इस महान योद्धा को जेल की चार दिवारी भी रोक नही पाई और कायर पुलिस वालों पर गोली बरसाते हुए उनके सामने से निकल गए। राजस्थान पुलिस ने करोड़ो बर्बाद कर दिए पर निक्कमी पुलिस नही पकड़ पाई। सरकार हंसी का पात्र ओर श्री आंनद पाल जी चारणों द्वारा गायन के मुख्य पात्र बने।

ऐसे महान गेन्स्टर के कथित फैंक एनकाउंटर मैं भाग लेना चाहिये।ऐसा विचार मेरे मन मे आया। परंतु तभी मेरी निगाह अपने वयस्क होते पूत पे पड़ी। हर पिता अपने पुत्र का पहला हीरो होता है। ऐसा मैंने चवन्नी छाप साहित्य और B ग्रेड की फिल्मों मैं देखा सुना है। हालांकि पुत्र ने कभी भी व्यवहार, आचरण और बोल के गलती से भी मुझे हीरो वाली इज़्ज़त नही दी। पर मैं साहित्य की बात को ही सत्य मानता हूं क्यूंकि वो मेरे पक्ष मे थी।

अतः मस्तिश्क मैं ये विचार आया कि ,कही पुत्र ने पूछ लिया कि, हे मेरी माता के दास, आज ये हाथ मे लकड़ी ले कर कहाँ जा रहे हो। ओर ये बताने पर की मैं श्री आनंद पाल जी के समर्थन मैं जा रहा हूं। वो ये सहज प्रश्न करेगा कि कौन श्री आनंद पाल जी। क्या ये माँ भारती के सेवा मैं वीर गति को प्राप्त हुए। उनका जीवन चरित्र बताओ। मैं उनको फॉलो करूँगा। मैं भी उनके जैसा बनूँगा।

माँ भवानी की कसम , जैसे ही पुत्र का ये प्रश्न ओर चेहरा सामने आया जिसके एक हाथ मे AK 47 दूसरे हाथ मैं  कमांडो सोहन सिंह की गर्दन, गले मैं 7 नर मुंडो की माला, मैं धम्म से वही बैठ गया। अपने पुत्र को मेजर बत्रा बनते देखना चाहता हूं या महान गेन्स्टर श्रीमान आंनद पाल। बस इसी व्यथा ने मुझे जाने नही दिया।

छमा प्रार्थी हूँ।